झल्ले दी झल्लियां गल्लां
कांग्रेस चीयर लीडर
ओऐ झल्लेया! ये दिल्ली में केजरीवाल ने क्या भाम्भडभूसा पाया हुआ है|पहले कृतघ्न मीडिया को रिशवत देने के लिए ५०० करोड़ रुपयों का विज्ञापन बजट पास कर लिया |अब उसे बांटने के लिए विज्ञापन एजेंसी को ठेका दे रहे हैं यानि आम आदमी पार्टी और उनकी सरकार की छवि चमकाने के लिए अप्पोइंट किये जा रहे पीआर कंपनी का खर्चा भी टैक्सपेयर्स ही देंगे
झल्ला
ओ मेरे चतुर सुजान !नहीं समझे यह दावं!
अरे भापा जी, झल्ले का ४० साल का तजुर्बा कहता है के अनेकों मीडिया घराने ऐसे हैं जो विज्ञापन के बदले कुछ राशि भेंट स्वरुप सरकारी विज्ञापनदाता को लौटा देते हैं|ईश्वर झूट ना बुलवाए,यह राशि १०% से लेकर कहीं कहीं ४०% भी जा पहुँचती है |डी ऐ वी पी की दरों पर दिए जाने विज्ञापनों में यह भेंट कुछ कम हो सकती है|
अनेकों विज्ञापन एजेंसियां तो इसी राशि के आशीर्वाद से ही चल रही हैं |
५०० करोड़ रुपयों के बजट को बांटने के लिए अप्पोइंट की जा रहे एजेंसी वसूली का यह दायित्व बखूबी निभा सकती है |और मीडिया घराने अपना टारगेट प्रांत करने के लिए एजंसियों को ऑब्लाइज करने में कभी पीछे नहीं रहते| ये तो आप भी मानोगे के आज का खर्च आने वाले कल में अकाउंट+पोलिटिकल आडिट का सबब हो सकता है इसीलिए झल्लेविचारानुसार अरविन्द केजरीवाल ने अपना शातिर दिमाग लगा कर अपने गड्डे भरने शुरू कर दिए हैं और जरूरत पड़ने पर भ्रष्टाचार को दूसरों के मत्थे मडने का मार्ग तलाश लिया है |इसकी फ़ाइल संतुति के लिए एलजी के पास भेजने की जरूरत नहीं होगी इसीलिए इससे पब्लिसिटी और पैसा दोनों ही सेफ रास्ते से आएंगे
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