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संसद ने अभी तक राजनीती से प्रेरित विज्ञापनों को रोकने वाला सॉफ्टवेयर डीऐवीपी में अपलोडेड नहीं किया

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

पीड़ित करदाता

ओये झल्लेया !आये दिन हसाडे जेबों पर डाका डाल कर नेता गण ओनली पार्श्व में पढ़े अपने नेताओं की फोटो दिखाने के लिए ही हर तरफ मोटे मोटे विज्ञापन छपवा रहे हैं |माननीय सुप्रीम कोर्ट की उच्चस्तरीय कमेटी ने बिलकुल ठीक कहा है कि सरकारी विज्ञापनों से राजनीती को दूर रखा जाना चाहिए|ओये प्रो एन आर माधवन ने तो यहां तक कह दिया है कि इन विज्ञापनों में हसाडे से वसूले जा रहे टैक्स का खुले आम दुरूपयोग हो रहा है|ठीक है भई अगर विज्ञापन देना जरूरी हो तो प्रेजिडेंट+पीएम+राजयपाल+मुख्य मंत्री की फोटो लगा दो लेकिन यहाँ तो हाशिये पर आये हुए माननीय मुलायम सिंह यादव+श्रीमती सोनिया गांधी आदि आदि की फोटो भी सरकारी खर्चे से ही छपवाई जा रही है |पुण्य आत्माओं की जयंती आदि पर तक में भी जिसे देखो अपनी और अपनों की फोटो चमकाने पर तुला है |अरे बाबा अगर जरूरी हो तो इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग मिनिस्ट्री किस लिए बनाई गई है|एक विज्ञापन दो और राष्ट्र की श्रद्धा व्यक्त कर दो

झल्ला

भापा जी रोना तो आप जी बिलकुल जायज है लेकिन संसद ने अभी तक डीऐवीपी में राजनीती से प्रेरित विज्ञापनों को रोकने वाला सॉफ्टवेयर अपलोडेड नहीं किया है |
ये जो सरकारी नियामक डीए वी पी है इसके दिमाग में सार्वजानिक उद्देश्य और राजनीती से प्रेरित विज्ञापन का अंतर समझने वाला सॉफ्टवेयर अपलोडेड ही नहीं है और झल्लेविचारानुसार इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए संसद का कानून जरूरी है |कहने का भाव है किये वाली भैंस भी जाएगी गहरे पानी में |

सोनिया का तंज केजरीवाल के गले फंसा :कांग्रेस और”आप”ने पोजिशन बदल कर आँखों में आँखे डालनी शुरू की

पुराणी कहावत है कहणा धी नू ते सोनाणा नूँ नू अर्थार्त बहु को सुनाने के लिए घर की खांटी सासू माँ अक्सर बेटी को ताने मारने लगती है जिसके बाद बेटी तो मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाती है जबकि बहु अगर अकलमंद हुई तो बात को गाँठ बाँध लेती है |सन्देश चला जाता है और घर में एकता और शान्ति भी बनी रहती है आज कल सियासत में भी कमोबेश यही कुछ देखने को मिल रहा है |दिल्ली के अजमल खान पार्क में बीते दिन यूं पी ऐ की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने अपने भाषण में इसी कहावत का प्रयोग किया लेकिन यहाँ एक तरफ बहु की जगह बाहर से आये और दिल्ली को कब्ज़ा किये अरविन्द केजरीवाल तो दूसरी तरफ सोनिया का अपना बेटा राहुल गांधी है |फेस सेविंग के लिए यहाँ यह बताना भी जरूरी है कि अरविन्द केजरीवाल की २७ विधायकों वाली पार्टी को आठ एम् एल ऐ वाली कांग्रेस ने अपनी हाई कमान के निर्देश पर दिल्ली के तख्त पर ४९ दिन तक स्थापित किये रखा था | जनरल इलेक्शन डिक्लेयर होने के फलस्वरूप दोनों पीठ जोड़ कर खड़े हो गएजाहिर है ऐसे में दोनों के निशाने पर भाजपा के नरेंद्र मोदी ही हैं अब चूँकि चुनाव सर पर आ खड़े हुए हैं ऐसे में दोनों ने पोजिशन बदल कर आँखों में आँखे डालनी शुरू कर दी हैं | Political Satire
इस भाषण में सोनिया गांधी ने साफ कर दिया कि सरकार बनाना और चलाना कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है। सरकार चलाना कोई बच्चों का खेल भी नहीं है। दिल्ली में सरकार तो बना ली लेकिन बाद में मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए। यहाँ उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया मगर निशाना साफ़ आम आदमी पार्टी कि तरफ ही था| चूँकि अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की आधी सत्ता छोड़ कर पूरी संसद पर कब्ज़ा करने के लिए दिल्ली से भाग खड़े हुए हैं इसीलिए अकलमंद बहु की तरह केजरीवाल ने सोनिया गांधी के सन्देश को लपक लिया और अपनी अकलमंदी का प्रदर्शन करने के लिए बॉल को अपनी ससुराल यानि गांधी परिवार की तरफ उछाल दिया|दरअसल केजरीवाल ने स्थिति को जांचा +परखा + भांपा और दिल्ली के एल जी से मुलाकात करके दिल्ली विधान सभा को भंग करके पुनः चुनाव कराने की मांग को दोहरा दिया अर्थार्त बॉल को फैंकने वाले के ही पाले में ही लौटा दिया |इसके बाद बड़ी शान से सोनिया गांधी से सीधे सीधे कह दिया कि “बच्चा” केजरीवाल नहीं उनका अपना पुत्र राहुल गांधी ही है

आसा राम ने अपने ऊपर लगे बलात्कार के आरोपों को बकवास बताते हुए कांग्रेस के प्रथम परिवार पर अपने विरुद्ध षड्यन्त्र रचने का आरोप लगाया

आसा राम ने अपने ऊपर लगे बलात्कार के आरोपों को बकवास बताते हुए कांग्रेस के प्रथम परिवार पर अपने विरुद्ध षड्यन्त्र रचने का आरोप लगाया |
नाबालिग से यौन शोषण के आरोप से परेशन आसाराम बापू ने अपने बचाव के साथ अब सरकार पर हमले भी शुरू कर दिए हैं|आज आसाराम बापू ने बगैर नाम लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के सर पर ठीकरा फोड़ दिया है| आसा राम ने अपने ऊपर लगे बलात्कार के आरोपों को बकवास बताया और कांग्रेस के प्रथम परिवार पर अपने विरुद्ध षड्यन्त्र रचने का आरोप लगाया है| उन्होंने कहा कि ‘मैं किसी पार्टी के विरोध में नहीं हूं पर समर्थक मुझे बताते हैं कि यह सब ‘मैडम’ और उनके ‘बेटे’ का किया धरा है।’ गौरतलब है कि शुक्रवार तक आसाराम पूछताछ के लिए नहीं आते हैं तो शनिवार को उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है|
[२]इसके अलावा आसाराम ने ५ लाख के ईनाम की घोषणा करते हुए कहा है कि उन लगे आरोप कोई सही साबित कर दे, तो उसे वह 5 लाख रुपए इनाम में देंगे। बीते दिन सूरत में जन्माष्टमी के प्रवचन के दौरान उन्होंने यह बात कही।
आसाराम ने पुलिस से 19 सितंबर तक के समय की मांग की थी,लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया है|
इससे पूर्व गृह मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान सरकार को आसाराम के साथ खास व्यवहार नहीं करना चाहिए और उसे सामान्य व्यक्ति ही मानना चाहिए.

अब श्रीमति सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वढेरा के कथित संदिग्ध भूमि सौदों को लेकर संसद कई बार बाधित हुई

संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वढेरा के कथित संदिग्ध भूमि सौदों और किश्तवार में हुई हिंसा को लेकर आज जम कर हंगामा हुआ|कांग्रेस सांसदों के विरोध के बीच लोक सभा की अध्यक्षा मीरा कुमार ने कार्यवाही स्थगित की तो राज्यसभा में सभापति उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने वढेरा मामले पर चर्चा करवाने से इनकार कर दिया.उन्होंने नाराजगी भी ज़ाहिर करते हुए कहा कि राज्यसभा में किसी कानून पर अमल नहीं हो रहा, हर कानून को तोड़ा जा रहा है और सदन ‘अराजक तत्वों का संघ’ हो गया है|.
इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने मांग की है कि राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी का सदन के संबंध में ‘अराजकतावादियों का संघ’ बयान वापस लिया जाए.उधर श्रीमती सुषमा स्वराज ने संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ को टारगेट करते हुए कहा कि कमल नाथ जी इस प्रकार गुस्सा करने से सदन की कार्यवाही नही चलेगी| सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगित की गई |
संसद के दोनों सदनों में भाजपा से श्री मति सुषमा स्वराज और यशवंत सिन्हा ने रॉबर्ट वढेरा के कथित भूमि सौदों के मामले पर सरकार की तीखी आलोचना की और कांग्रेस से सफ़ाई मांगी.| यशवंत सिन्हा ने बिना नाम लिए कहा कि देश के एक रसूखदार व्यक्ति ने मुनाफा कमाने का अनोखा मॉडल पेश किया है।
उन्होंने कहा, “सिर्फ़ 44 वर्ष की आयु में बड़ी पहुँच रखने वाले एक व्यक्ति हैं जिन्हें सैंकड़ों करोड़ रूपए कमाने की कला बिना किसी बिज़नेस स्कूल में गए हुए या निवेश किए ही आती है.” किश्तवाड़ में हुई हिंसा पर भी सांसदों ने विरोध प्रकट किया.|इस बयान के तत्काल पश्चात सदन में हंगामा मच गया और कांग्रेस सांसदों के विरोध के बीच सदन की अध्यक्ष मीरा कुमार ने कार्यवाही स्थगित कर दी |
भाषा के अनुसार हरियाणा राज्य के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमे कथित रूप से प्रदेश सरकार और रॉबर्ट वढेरा पर ज़मीन की खरीद फरोख़्त मामले में सांठ-गाँठ का आरोप है.|राबर्ट वढेरा मुरादाबाद के एक ओद्यौगिक परिवार से हैं और प्रियंका गाँधी के पति हैं|कांग्रेस ने यह कहते इसे सिरे से ही ख़ारिज कर दिया कि यह राज्य से जुड़ा मामला है लेकिन भाजपा ने इसे राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ गंभीर धोखाधड़ी का मामला भी बताया भाजपा संसदीय दल की बैठक के बाद राज्यसभा में पार्टी के उप-नेता रविशंकर प्रसाद ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि यह राज्य :हरियाणा: से जुड़ा मामला है।

अपने मंत्रियों की करतूतों से शासक वस्त्रहीन हैं : सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने ब्लाग के माध्यम से वर्तमान शासक को वस्त्रहीन बताने के लिए एक रोचक कहानी और एक साप्ताहिक के सम्पादकीय का उल्लेख किया है|गौरतलब है कि पूर्व में एल के अडवाणी भारत के पी एम् डाक्टर मन मोहन सिंह को कमजोर +दब्बू और अपनी पार्टी अध्यक्षा के हाथों की कठपुतली बता चुके हैं|प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
हंस एंडरसन की रोचक कहानी ‘दि एम्परर्स् न्यू क्लोज़ (सम्राट के नए वस्त्र)[Emperor’s New Clothes ]मैंने पहली बार स्कूल के दिनों में पढ़ी थी।
एंडरसन की कहानी दो बुनकरों के बारे थी जिन्होंने सम्राट को एक नए वस्त्र की पोशाक देने का वायदा किया था जो सर्वथा सुंदर होने के साथ ही उसकी उल्लेखनीय विशेषता होगी कि वह अदृश्य रहेगी जिसे अक्षम्य रूप से कोई मूर्ख नहीं देख सकेगा और अयोग्य अपने पद पर नहीं रह पाएगा।
इन दोनों बुनकरों जो वास्तव में ठग थे, को सुनकर सम्राट जो हमेशा अच्छे और मंहगे वस्त्रों का शौकीन था ने सोचा ”यदि मैं इस कपड़े की बनाई गई पोशाक पहनूंगा तो मैं पता लगा संकूगा कि मेरे राज में कौन व्यक्ति अपने पद के योग्य है और मैं चतुरों और मूर्खों में भेद कर सकूंगा।”
कहानी का चरमोत्कर्ष तब आया जब सम्राट अपनी ‘नई पोशाक‘ को धारण कर अपनी प्रजा के सामने निकला, इनमें से अनेकों ने उसकी इस कथित असाधारण पोशाक की भूरि-भूरि प्रशंसा की परन्तु तभी एक बच्चा चिल्लाया कि ”लेकिन उन्होंने (सम्राट) तो कोई वस्त्र पहना ही नहीं है!”
* * *सीबीआई द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में यह स्वीकार किए जाने कि उन्होंने इन दोनों घोटालों सम्बन्धी जांच रिपोर्ट को विधि मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ साझा किया, पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके इस कृत्य के लिए उसे काफी लताड़ा है।
सीबीआई को ‘एक पिंजरे में बंद तोते‘ की तरह बताते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने 8 मई के अपने निर्देश में सीबीआई को सभी ”दवाबों और खींचतान के विरुध्द डट कर खड़े होने को कहा। न्यायमूर्ति लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई के इस निवेदन पर सवाल उठाए कि भले ही विधि मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के ईशारे पर कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है, परन्तु रिपोर्ट का मुख्य अंश नहीं बदला गया है। सर्वोच्च न्यायलय ने अपने आदेश में कहा है कि ”सरकारी अधिकारियों के सुझाव पर रिपोर्ट का मुख्य तत्व (दिल) बदला गया।”
सरकार के कार्यकलापों के विरुध्द विपक्ष के आक्रोश को व्यापक स्तर पर मीडिया ने भी प्रकट किया। संसद के सदनों को सामान्य रुप से चलाने हेतु विपक्ष की कम से कम मांग यह थी कि विधि मंत्री को त्याग पत्र देना चाहिए और रेलवे मंत्री को बर्खास्त किया जाए।
संसद में इस वर्ष का बजट सत्र अपने अंतिम सप्ताह में पहुंच चुका था। कई दिनों से संसद में कामकाज नहीं हो सका था क्योंकि लगभग समूचा विपक्ष ‘कोयलागेट‘ और ‘रेलगेट‘ जैसे महाघोटालों के लिए सरकार से जवाबदेही की मांग कर रहा था, विशेष तौर पर प्रधानमंत्री (जब यह कोयला खदानों का आवंटन किया गया तब वह कोयला मंत्री थे), विधि मंत्री और रेलवे मंत्री के इस्तीफे की मांग।
बेशर्मी से अपने दोनों मत्रियों का बचाव करते हुए, विशेष रुप से विधि मंत्री का, जिन्हें सरकार से हटाने से प्रधानमंत्री का पद पर बने रहना असम्भव हो जाता, सरकार ने संसद की कार्यवाही 10 मई के बजाय दो दिन पूर्व यानी 8 मई को ही अनिश्चितकाल के लिए ही स्थगित कर दी।
समाचारपत्रों और टीवी चैनलों द्वारा की गई निंदात्मक टिप्पणियों में, मैं मेल टुडे में आर. प्रसाद के कार्टून से विशेष रुप से प्रभावित हुआ जोकि उपरोक्त वर्णित हंस एंडरसन की रोचक कहानी पर आधारित है। मुझे पता नहीं कि प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्षा ने इसे देखा है या नहीं।
इस कार्टून ने मुझे 1975-1977 के आपातकाल के दौरान अबू द्वारा बनाए गए कार्टून का स्मरण करा दिया जिसमें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को एक बाथ टब में लेटे दिखाया गया और वह उनको हस्ताक्षर के लिए दस्तावेज दे रहे अपने सहायक को कह रहे हैं ”यदि और अधिक अध्यादेश हैं तो उन्हें थोड़ा इंतजार करने के लिए कहिए!” सरकार या आपातकाल के आलोचक अनेक समाचारपत्रों और पत्रिकाओं को या तो प्रतिबंधित कर दिया गया या जबरदस्ती बंद करा दिया गया। परन्तु उन दिनों प्रकाशित होने वाली एक मात्र कार्टून पत्रिका ‘शकरर्स वीकली‘ ने स्वयं ही प्रकाशन बंद करने का निर्णय लिया। 31 अगस्त, 1975 को अपने अंतिम सम्पादकीय ‘फेयरवेल‘ (विदाई) शीर्षक से सम्पादक ने निम्नलिखित शानदार लेख लिखा :
सम्पादकीय में आपातस्थिति का नाम तक नहीं लिया गया, लेकिन उस समय के तानाशाही शासन की इससे ज्यादा कटु निंदा और नहीं हो सकती थी। सम्पादकीय निम्न है:-

“हमारे पहले सम्पादकीय में हमने रेखांकित किया था कि हमारा काम हमारे पाठकों को हंसाना होगा – दुनिया पर, आडम्बरपूर्ण नेताओं, कपटपूर्ण आचरण, कमजोरियों और अपने पर। पर ऐसे हास्य को समझने वाले और विनोदी स्वभाव रखने वाले लोग कैसे होते है? ये ऐसे लोग हैं जो व्यवहार में निश्चित सभ्यता व लोकाचार रखते हैं तथा जहां सहिष्णुता और दयालुपन का भाव होता है। अधिनायकवाद हंसी को नहीं बर्दाश्त करता क्योंकि लोग तानाशाह पर हसेंगे और वह नहीं चलेगा। हिटलर के सभी वर्षों में, कभी प्रहसन नहीं बना, कोई अच्छा कार्टून नहीं था, न ही पैरोडी थी या मजाकिया नकल भी नहीं थी।
इस दृष्टि से, दुनिया और दु:खद रुप से भारत असंवेदनशील, गंभीर और असहनशील होता जा रहा है। हास्य जब भी हो तो संपुटित होता है भाषा अपने आप में काम करने लगती है। प्रत्येक व्यवसाय अपनी शब्दावली विकसित कर रहा है। अर्थशास्त्री बंधुओं के समाज से बाहर एक अर्थशास्त्री अजनबी है, अनजाने क्षेत्र में हिचकिचाकर बोल रहा है, अपने बारे में अनिश्चित, गैर-आर्थिक भाषा से भयभीत है। यही वकीलों, डाक्टरों, अध्यापकों, पत्रकारों और उनके जैसों का हाल है।
इससे ज्यादा खराब यह है कि मानवीय कल्पना वीभत्स और विकृत में परिवर्तित होती प्रतीत होती है। पुस्तकें और फिल्में या तो हिंसा या सेक्स के भटकाव पर हैं। अनचाही घटनाओं और कृत्यों से लगने वाले झटके के बिना लोग जागरूक होते नहीं दिखते। लिखित शब्दों और समाज पर सिनेमा का अर्न्तसंवाद हो या न हो, समाज इन प्रवृत्तियों को अभिव्यक्त करता है। लूट-मार, अपहरण आदि अपराध नित्य हो रहे हैं और राजनीतिक कलेवर चढ़ा कर इन्हें सामाजिक स्वीकार्यता भी दी जा रही है।
परन्तु ”शंकरर्स वीकली” एक पक्की आशावादी है। हम निश्चिंत हैं कि वर्तमान परिस्थितियों के बावजूद, दुनिया खुशहाल और अधिक तनाव रहित स्थान बनेगी। मनुष्य की आत्मा अंतत: सभी मौत की शक्तियों पर हावी होगी और जीवन इतना पल्लवित होगा जहां मानवता अपना उच्चतम उद्देश्य हासिल करेगी। कुछ इसे भगवान पुकारते हैं। हमें इसे मानव नियति कहना पसंद करते हैं। और इसी विचार के साथ हम आप से विदा ले रहे हैं और आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।”