सपा की साइकिल से उतारे गए कांग्रेस के हाथ से झटके गए कभी किंग मेकर रहे ठाकुर अमर सिंह ने रालोद के हैण्ड पंप को चलाने का अवसर प्राप्त करने में सफलता हासिल कर ली है |अमर सिंह अब यूं पी ऐ के लिए वोट निकालने को रालोद का हैण्ड पंप चलाएंगे| अमर सिंह के साथ पूर्व सिने तरिका + सांसद ज्याप्रदा भी हैं| माना जा रहा है कि बेशक इस नए समीकरण से चौधरी अजित सिंह और कांग्रेस को कुछ फायदा हो सकता है लेकिन इस नए समझौते की सतह में एक नया मुद्दा तलाशने की सम्भावना भी बनती दिख रही हैं और वोह मुद्दा यूं पी के बंटवारे और हरित प्रदेश के छोटे राज्य के रूप में सामने आ सकता है|
इस नए मुद्दे को अमर सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में हवा भी दे दी है उन्होंने यूपी के विभाजन से किसानों के भले की बात कही है इसके अलावा रालोद के सांसद जयंत चौधरी भी जाट आरक्षण से उत्साहित होकर आज कल छोटे राज्य के लिए वकालत कर रहे हैं |भाजपा यूं पी विभाजन के लिए पहले ही सहमति दे चुकी है लेकिन सत्ता रूड “सपा” के चीफ मिनिस्टर अखिलेश यादव यूं पी के बंटवारे के विरुद्ध ब्यान दे रहे हैं ऐसे में इस सरकार को घेरने के लिए छोटे राज्य की मांग को मुद्दा बनाया जा सकता है|
बीते दिन एक दिल्ली के अपने निवासपर प्रेस कांफ्रेंस करके चौधरी अजित सिंह ने ठाकुर अमर सिंह और जया प्रदाको पार्टी में शामिल करने की घोषणा की| अमर सिंह कभी सत्ता रूड समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के अति करीबी रहे हैं लेकिन अब प्रधान मंत्री बनने की मुलायम सिंह की महत्वकांक्षा में रोड़ा बनेंगे| माना जा रहा है कि १६ वी लोक सभा के चुनावों में अमर सिंह फतेहपुर सीकरी से ताल ठोकेंगे, तो जयाप्रदा को बिजनौर से उतारा जा सकता है |
अमर सिंह की कोशिश कांग्रेस में शामिल होकर जगह बनाने की थी परन्तु उनके लिए केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के हाथ का साथ नहीं मिला इसके विपरीत कांग्रेस जयाप्रदा को पार्टी में शामिल करने को राजी थी,| ज्या ने अपने राजनीतिक संरक्षक अमर सिंह का साथ छोड़ने से इंकार कर दिया | इस राजनीतिक नाकामी के बाद अमर+जया ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए रालोद को बैकडोर की तरह इस्तेमाल किया क्योंकि वर्त्तमान में रालोद भी यूं पी ऐ की सहयोगी पार्टी है| रालोद को भी स्टार प्रचारक और रणनीतिकार मिल गए है। पार्टी में शामिल होने के बाद जयाप्रदा ने अमर सिंह को राजनीतिक गुरु और अजित सिंह को अपना नेता बताया हैं।
कांग्रेस और रालोद के बीच हुए चुनावी समझौते के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में प उ प्र.की ओनली आठ सीटों पर अजित सिंह की पार्टी की दावेदारी स्वीकार की गई है | रालोद के लिए[१] बागपत[२] कैराना[३] बिजनौर[४]नगीना[५]अमरोहा[६]हाथरस[७]मथुरा [८] बुलंदशहर सीटें आई हैं
गौरतलब है कि २००९ के चुनावों में १० सीटों पर लड़े रालोद पांच सीटें जीत पाई इनमे से भी दो सांसदो ने रालोद को छोड़ कर सपा का दामन थाम लिया |२०१४ के चुनावों के लिए रालोद २० सीटों का दावा करती रही है लेकिन कांग्रेस ने केवल आठ सीटों पर ही हामी भरी है|
अमरोहा से २००९ में रालोद के टिकेट पर विजयीरहे देवेन्द्र नागपाल ने सपा ज्वाइन कर ली है और इस बार चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की हुई हैजाहिर है उनका समर्थन सपा के लिए रहेगा |इससे इस सीट को रालोद के लिए सुरक्षित नहीं कहा जा सकता जबकि बिजनौर से संजय चौहान की दावे दारी कमजोर मानी जा रही है इसीलिए संजय को अमरोहा शिफ्ट किया जा सकता है और बिजनौर की सुरक्षित सीट से जया प्रदा को लड़ाया जा सकता है
फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से पिछले चुनाव में बसपा की सीमा उपाध्याय ने बाजी मारी थी, जबकि कांग्रेस के राजबब्बर दूसरे स्थान पर रहकर सिर्फ 10 हजार मत से हारे थे। इस ठाकुर बहुल सीट से अमर सिंह ताल ठोक सकते हैं अजित सिंह और जयंत चौधरी के लिए बाघपत और मथुरा सुरक्षित रहेंगी
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ठाकुर अमर सिंह और चौधरी अजित सिंह के हाथ मिलाने से “यूं पी विभाजन” को मुद्दा बनाने की सम्भावना बनी
देवेन्द्र नागपाल ने सपा ज्वाइन करते ही पार्टी को मजबूती और पंजाबी समाज को पहचान दिलाने का संकल्प लिया
अमरोहा से सांसद देवेन्द्र नागपाल ने सत्ता रुड सामज वादी पार्टी ज्वाइन करके पार्टी को मजबूती और पंजाबी समाज को विशेष पहचान दिलाने के लिएसमर्पित भाव से प्रयास कयाने की घोषणा की है|अमरोहा से २००९ में रालोद के टिकट पर चुनाव जीत कर आये देवेन्द्र नागपाल ने यधपि रालोद पार्टी छोड़ दी है और लगभग दो वर्ष पूर्व ही २०१४ में १६ वी लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की हुई है इसके उपरान्त भी उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की है और अब प्रदेश भर में समाजवादी के लिए कार्य करने की घोषणा की है नागपाल ने कहा है कि अब पंजाबी समाज को राजनीती में नई पहचान दिलाने और पंजाबी समाज के उत्थान के लिए भी समर्पित भाव से कार्य करेंगे |देवेन्द्र नागपाल ने अपना राजनितिक और सामाजिक जीवन २००० से शुरू किया था २००५ तक जिला पंचायत के सदस्य रहे|उसके पश्चात २००७ तक उत्तर प्रदेश की लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य बने |२००९ में सांसद बने | इंडस्ट्री+पेटिशंस कमेटी के सदस्य भी हैं |अमरोहा की इस सीट पर उनसे पहले उनके भाई हरीश नागपाल ने २००४ में बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था|यहाँ नागपाल बंधुओं का विशेष प्रभाव है ऐसे में रालोद+भाजपा +कांग्रेस का समाजवादी पार्टी से कडा मुकाबिला होगा| शायद यही कारण है कि अभी तक रालोद की वेबसाइट पर से रालोद के संसद के रूप में नागपाल का नाम हटाया नहीं गया है विकिपीडिआ को भी अप्डेट नहीं किया गया है | बताते चलें कि कभी यह छेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था १९५२+१९५७+१९६२के पश्चात १९८४+में कांग्रेस ने जीत दर्ज की|इसके पश्चात १९६७+१९७१ में कम्युनिस्ट पार्टी का कब्ज़ा रहा |जनता पार्टी के उदय से १९७७ और १९८० में यह सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई|१९८९ में जनता दल आ गया |भारतीय जनता दल के क्रिकेटर चेतन चौहान ने १९९१ और १९९८ में ऑफ स्पिन बोलिंग और धुआंधार बैटिंग से भाजपा का खाता खोला|समाजवादी पार्टी [१९९६]और १९९९ में बहुजन समाज वादी पार्टी के टिकट से रशीद अल्वी भी जीते
देवेन्द्र नागपाल का रालोद से टिकट कट गया है इसीलिए दूसरी पार्टी से पींगे बढ़ा रहे हैं
रालोद प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने फोन पर बताया कि देवेन्द्र नागपाल ने बीते चार सालों में अपने छेत्र में विकास का कोई कार्य नहीं किया है||पार्टी कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते|यहांतक कि जिला संगठन से दूर रहते हैं |इसीलिए अब पार्टी के केन्द्रीय न्रेतत्व ने देवेन्द्र नागपाल का टिकट काटने का फैंसला कर लिया है|शायस इसीलिए अब नागपाल के पास किसी भी दूसरी पार्टी की शरण में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है|
गौरतलब है कि अमरोहा से २००९ में १५ वी संसद के लिए रालोद के टिकट पर चुनाव जीते देवेन्द्र नागपाल ने आज कल रालोद के खिलाफ बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं| उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाया कि पार्टी अपने उद्देश्य और सिधान्तों से भटक चुकी है| उन्होंने जाटों के समर्थन के लिए समाजवादी पार्टी से मदद लेने की कवायद तेज़ कर दी है|और ऐसा ही भरोसा वोह आज कल मदद मांगने वाले जाटों को भी दिला रहे हैं|गौर तलब है कि जाट रालोद के मुखिया अजित सिंह का पारंपरिक वोट बैंक है और अब उसमे सेंध लगाने की तैयारी हो रही है| पार्टी विरोधी इसी गतिविधि पर प्रदेश अध्यक्ष ने अपनीप्रतिक्रिया दी है|
बताते चलें कि पूर्व निर्दलीय सांसद हरीश नागपाल के भाई.है देवेन्द्र नागपाल|सोबर्स क्लब और जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे है | शराब व्यवसाई देवेन्द्र नागपाल अपने पिता स्वर्गीय श्री रामदास नागपाल के आदर्शों के अनुरूप गरीब परिवारों की बेटियों, उनकी चिकित्सा उपचार शिक्षा आदि की शादी के लिए सहायता प्रदानकरने के कारण प्रसिद्ध है |
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