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टी वी और मोबाइलके क्रांतिकारी दौर में अपना महत्व बनाये रखने वाले रेडियो के कार्यक्रमो को पुरुस्कृत किया

टी वी और मोबाइलके क्रांतिकारी दौर में अपना महत्व बनाये रखने वाले रेडियो के कार्यक्रमो को पुरुस्कृत किया बेशक आज के दौर में टी वी और मोबाइल के प्रति रूचि बड़ी है लेकिन संचारऔर मनोरंजन के पुराने साधन रेडियो का महत्व अभी तक बना हुआ है|वर्त्तमान में भी रेडियो के श्रोताओं की संख्या बहुत बड़ी है शायद इसीलिए वैश्विक संस्था यूनेस्को द्वारा भी १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है|
इसीलिए रेडियो कार्यक्रमो को प्रात्साहित करने के लिए आज सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार दिए गए
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव बिमल जुल्‍का ने आज तीसरे सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार का वितरण किया। 68 सामु‍दायिक रेडियो स्‍टेशनों से प्राप्त कुल 131 आवेदनों में से पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वालों की सूची इस प्रकार है:
[अ]-सर्वाधिक सृजनात्‍मक/नवाचारी कार्यक्रम विषय वस्‍तु पुरस्‍कार
यह पुरस्‍कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को कार्यक्रमों और उनके प्रस्‍तुतिकरण में नयेपन तथा समुदाय के बीच प्रभावी रूप से पारंपरिक संवाद के माध्‍यम से विकास के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दिया जाता है।
[१] ”फसल बुआई तथा कृषि तरीकों में पर्यावरण बदलाव के अनुसार परिवर्तन” कार्यक्रम के लिए येरला प्रोजेक्‍ट सोसाइटी, सांगली, महाराष्‍ट्र द्वारा संचालित येरलावनी सामुदायिक रेडियो।
[२] ”सुन्‍नो थेके सुरू-चतुर्भुज के प्रकार” कार्यक्रम के लिए जादवपुर विश्‍वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल द्वारा संचालित जेयू सामुदायिक रेडियो।
[आ]तथ्‍यात्‍मकता पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को समुदाय के हित और आवश्‍यकता के अनुरूप कार्यक्रम बनाये जाने के लिए दिया जाता है।
[१] ”पुथोली” कार्यक्रम के लिए एजुकेशनल मल्‍टीमीडिया रिसर्च सेन्‍टर, अन्‍ना विश्‍वविद्यालय, चैन्‍नई, तमिलनाडु द्वारा संचालित अन्‍ना सामुदायिक रेडियो
[२] ”बाजार लाए बोछार” कार्यक्रम के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्‍टीट्यूट, उत्‍तराखंड द्वारा संचालित कुमाऊं वाणी।
[३] ”गृहासन से सिंहासन” कार्यक्रम के लिए प्रजा पिता ब्रह्म कुमारी र्इश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय, राजस्‍थान द्वारा संचालित रेडियो मधुबन।
[इ]समुदाय भागीदारी पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को समुदाय को कार्यक्रमों की योजना, विषय वस्‍तु, प्रोडक्‍शन तथा प्रसारण में प्रभावी रूप से शामिल करने के लिए दिया जाता है।
[१] ”खासो साशन” कार्यक्रम के लिए साईरे जो संगठन, गुजरात द्वारा संचालित साईरे जो रेडियो।
[२ ]”विजयपथम” कार्यक्रम के लिए श्री विष्‍णु इंजीनियरिंग कॉलेज फॉर वूमेन, आंध्र प्रदेश द्वारा संचालित रेडियो विष्‍णु।
[३] ”गांव की बात” कार्यक्रम के लिए कृषि एवं तकनीक जी. बी. पंत विश्‍वविद्यालय, उत्‍तराखंड द्वारा संचालित पंत नगर जनवाणी।
[ई]स्‍थानीय संस्‍कृति को प्रोत्‍साहित करने के लिए पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को स्‍थानीय प्रतिभा और परंपराओं को अपने कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए दिया जाता है।
[१] ”कंधाई कथा” कार्यक्रम के लिए शिक्षा अनुसंधान विश्‍वविद्यालय, भुवनेश्‍वर ओडिशा द्वारा सं‍चालित वॉयस ऑफ एसओए समुदाय।
[२] ”अमा, कला, अमा संस्‍कृति” कार्यक्रम के लिए एसोसिएशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवेलपमेंट, ओडिशा द्वारा संचालित रेडियो किसान।
[३] ”डुडी नालिके (कुनिथा)” कार्यक्रम के लिए सेंट एलोयसियस कॉलेज, मंगलोर, कर्नाटक द्वारा संचालित सामुदायिक रेडियो सारंग।
[उ]टिकाऊ विकास मॉडल पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को अपने लिए धन की व्‍यवस्‍था करने के लिए नये-नये तरीकों और मॉडल को विकसित करने के लिए दिया जाता है।
[१]सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कम्‍युनिकेशन, केरल द्वारा संचालित रेडियो मीडिया विलेज।
इस वर्ष के राष्‍ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार के लिए आवेदन 31 जनवरी, 2014 तक आमंत्रित थे। 68 सामु‍दायिक रेडियो स्‍टेशनों से कुल 131 आवेदन प्राप्‍त किये गये। पुरस्‍कार के लिए पात्र सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों का चयन करने के लिए स्‍वतंत्र चयन समिति का गठन किया गया।
वर्ष 2012 में सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों पर बेहतर कार्यक्रमों को प्रोत्‍साहित करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार का आरंभ किया गया। ये पुरस्‍कार ऊपर उल्लिखित पाँच श्रेणियों में दिये जाते हैं।

भारत सरकार के दीवार कैलेंडर 2014 में केंद्र में यूं पी ऐ सरकार की १० सालों की उपलब्धियों को उकेरा गया

[नई दिल्ली]भारत सरकार के दीवार कैलेंडर 2014 में केंद्र में यूं पी ऐ सरकार की १० सालों की उपलब्धियों को उकेरा गया है |
केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने आज भारत सरकार के दीवार कैलेंडर 2014 का विमोचन तथा लोकार्पण किया। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव श्री बिमल जुल्‍का, प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री पंकज पचौरी तथा अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद थे। कैलेंडर का मूल विषय है, ‘भारत निर्माण तथा भारत सरकार की अन्‍य फ्लैगशिप योजनाएं’। इस अवसर पर बोलते हुए श्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह कैलेंडर सरकार की नीतियों के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने का बेहतर माध्‍यम है। हालांकि मीडिया डिजिटल माध्‍यमों से सूचनाओं का दूर-दूर तक प्रसार करती है फिर भी भारतीय परिस्थितियों में कैलेंडर का अपना महत्‍व है। कैलेंडर के माध्‍यम से प्रत्‍येक नागरिक के घर तक फ्लैगशिप योजनाओं की जानकारी पहुंचती है। विशेषकर जहां भी नागरिकों के अधिकारों की बात है, जैसे कि ”आम आदमी का हक”। भारत सरकार की यह पहल लोगों को नीतियों के बारे में जानकारी देना है ताकि समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
मंत्री श्री तिवारी ने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग दीवार कैलेंडर बहुत पसन्‍द करते हैं। यह कैलेंडर न सिर्फ दिल्‍ली के सरकारी दफ्तरों के लिए प्रस्‍तुत किया गया है बल्कि इसे देश की प्रत्‍येक पंचायत को ध्‍यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
मंत्रालय के सचिव श्री बिमल जुल्‍का ने पिछले एक वर्ष में मंत्रालय की मुख्‍य गतिविधियों की चर्चा की।पहले यह केलेण्डर केवल केंद्रीय सरकार के कार्यालयों के लिए ही छपवाए जाते थे जो अधिकतर दिल्ली तक सीमित रह जाते थे इस वर्ष इन्हें ग्रामीण इलाकों में भी भेजने की योजना है
[जनवरी] माह ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ को प्रदर्शित करता है जिससे नागरिक मात्र दस रुपये के मामूली शुल्‍क से सरकारी जानकारी के बारे में समयबद्ध सूचना प्राप्‍त कर सकते हैं।
[फरवरी] माह ‘महात्‍मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005′[मनरेगा] को प्रदर्शित करता है। यह कार्यक्रम कम से कम 100 दिन का सुनिश्चित रोजगार प्रदान करते हुए आजीविका सुरक्षा को बढ़ाता है।
[मार्च] माह ‘आधार’ को प्रदर्शित करता है जो कि एक ऐेसी महत्‍वपूर्ण योजना है जिससे सरकारी योजनाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित बनाने के लिए जीवनभर के लिए एक 12 अंक का विशिष्‍ट पहचान नम्‍बर प्रदान किया जाता है।
[अप्रैल] माह ‘खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को समर्पित है जो कि 81 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
[मई ]माह ‘भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को प्रदर्शित करता है जिसके तहत प्राप्त की गई भूमि के मालिकों को युक्तिसंगत व उचित मुआवजा प्रदान किया जाता है।
[जून]बच्‍चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार, अधिनियम 2009 जून माह में वर्णित है। यह अधिकार सीखने का वातावरण प्रदान करता है, जो कि पक्षपात रहित हो।
[जुलाई] माह में अनुसूचित जनजाति और अन्‍य वनवासी अधिनियम 2006 के प्रदर्शन करता है। यह अधिनियम अनुसूचित जनजाति व अन्‍य वनवासियों की आजीविका व भूमि स्वामित्‍व के अधिकारों को सुनिश्चित बनाता है। अभी तक अनुसूचित जनजाति को 18.8 लाख हैक्‍टेयर वन भूमि के लिए 13 लाख स्‍वामित्‍व के पट्टे दिये जा चुके हैं।
[अगस्त]शहरी भारत में आधारभूत ढांचा एक महत्‍व भूमिका निभा‍ता है। अगस्‍त माह में मैट्रो रेल की यात्रा का वर्णन किया गया है जो कि आज के शहरी भारत की जीवन रेखा बन चुकी है। मैट्रो रेल शुरू से कई शहरों में विश्‍व स्‍तरीय सार्वजनिक आवागमन सेवा शुरू हो सकी है। इससे शहर की सड़कों पर ट्राफिक जाम से राहत मिली है व पर्यावरण मुखी आवागमन सेवा मिल सकी है।
[सितम्‍बर] माह ‘कनेक्‍टिंग इंडिया’ को समर्पित है। भारत में 2004 से लेकर अब तक संचार घनत्‍व 25 गुणा बढ़ चुका है। 2012-13 के दौरान ग्रामीण टेलीफोन कनेक्‍शनों की गिनती बढ़ कर एक करोड़ हो गई है।
[अक्टूबर]] प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अक्‍तूबर माह का विषय है। इस योजना से सुदूर इलाकों को जोड़ने के लिए सभी तरह मौसम के अनुकूल उच्‍च गुणवत्‍ता सड़कों का निर्माण किया गया है।
[नवम्‍बर] माह प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तानांतरण योजना डीबीटी पर प्रकाश डालता है जिसके अंतर्गत छात्रवृत्तियां, रसोई गैस सब्सिडी, वृद्धावस्‍था पेंशन व अन्‍य लाभ, लाभार्थियों के खातों में सीधे हस्‍तानांतरित किये जाते हैं। ‘आप का पैसा आपके हाथ’ डीबीटी का आदर्श वाक्‍य है।
[दिसंबर]’हम सब भारतीय हैं’ दिसम्‍बर के विषय के रूप में वर्णित है जो कि हमसे अलग विचारधाराओं के लिए सहिष्‍णुता व आदर को प्रोत्‍साहित करना सि‍खाने वाली हमारी देश की संस्‍कृतियों पर केन्द्रित है।
फ़ोटो कैप्शन The Minister of State (Independent Charge) for Information & Broadcasting, Shri Manish Tewari releasing the official calendar 2014, brought out by the DAVP, in New Delhi on December 31, 2013.
The Secretary, Ministry of Information and Broadcasting, Shri Bimal Julka and other dignitaries are also seen.

भारत और हंगरी के सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध और प्रगाड़ हुए

भारत और हंगरी के सांस्कृतिक सम्बन्ध और प्रगाड़ हुए
हंगरी के प्रधानमंत्री डॉ विक्टर ओरबन आज कल अपने सहयोगियों के साथ भारत में आये है| उन्होंने आज 17 अक्तूबर, २०१३ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the Prime Minister of the Republic of Hungary, Mr. Viktor Orban, at the delegation level talks, in New Delhi on October 17, 2013.

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the Prime Minister of the Republic of Hungary, Mr. Viktor Orban, at the delegation level talks, in New Delhi on October 17, 2013.


इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रपति ने डॉ अरबन का स्वागत करते हुए कहा कि भारत हंगरी के साथ संबंधों और राजनयिक संबंधों से काफी पहले से सांस्कृतिक संबंधों को खास महत्व देता है। उन्होंने खास तौर पर बताया कि संस्कृत को ईएलटीआई[ ELTI ] विश्वविद्यालय में 1873 में ही एक नियमित विषय के रुप में अध्ययन के लिए शामिल किया गया। उन्होंने उस कमरे के संरक्षण के लिए जहां इलाज के दौरान रबींद्रनाथ ठाकुर ठहरे थे और बालटनफर्ड शहर में टैगोर के नाम पर एक खूबसूरत घास के खुले मैदान को बनाने के लिए हंगरी सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार हो रही द्विपक्षीय यात्राओं से दोनों देश हमारे द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने में सक्षम हुए हैं।
यह जानना संतोषजनक है कि हंगरी में कई क्षेत्रों में भारत का निवेश 1.5 अरब डॉलर के करीब है जिससे 8 हजार से अधिक हंगरी निवासियों को रोजगार मिला हुआ है।
The Prime Minister of the Republic of Hungary, Mr. Viktor Orban inspecting the Guard of Honour, at the Ceremonial Reception, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on October 17, 2013.

The Prime Minister of the Republic of Hungary, Mr. Viktor Orban inspecting the Guard of Honour, at the Ceremonial Reception, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on October 17, 2013.


द्वपक्षीय व्यापार भी 2007 में 398 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2011 में 840 मिलियन डॉलर तक बढ़ गया है। हालांकि, यह संभावनाओं से काफी कम है। राष्ट्रपति ने कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी+ स्‍वच्‍छ ऊर्जा+ कृषि + जल संसाधन प्रबंधन जैसे नए क्षेत्रों में भी विस्तार की संभावनाएं हैं।
राष्ट्रपति ने हंगरी के प्रधानमंत्री के साथ आए व्यापार प्रतिनिधिमंडलपर खुशी जाहिर कीऔर ये उम्मीद जताई कि भारतीय व्यापारियों से उनकी बातचीत में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूती प्रदानकरने वाले नए क्षेत्रों का उभार होगा।
राष्ट्रपति की बातों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए हंगरी के प्रधानमंत्री ने कहा कि हंगरी में भारत के महान संस्कृति और सभ्यता की काफी सराहना होती है। उन्होंने कहा कि हंगरी ही नहीं पूरे मध्य यूरोप में भारत के लिए सहयोग बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं जिससे भारत को पूरे यूरोप में अहम भूमिका निभाने में काफी मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की मांग काफी उचित है और इससे वैश्विक शांति और सहयोग बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
संस्‍कृति सचिव श्री रवींद्र सिंह तथा हंगरी के मानव संसाधन मंत्री जोलतन बालोग ने आज नई दिल्‍ली में ‘फ्रॉम आरगेनिक फार्मस टू लाइट आर्ट’ नामक समकालीन हंगरी कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
The Secretary, Ministry of Culture, Shri Ravindra Singh with the Minister of Human Resources, Govt. of Hungary, Mr. Zoltan Balog going round an exhibition “From Organic Forms to Light Art: Selection from the Contemporary Hungarian Art”, in New Delhi on October 17, 2013.

The Secretary, Ministry of Culture, Shri Ravindra Singh with the Minister of Human Resources, Govt. of Hungary, Mr. Zoltan Balog going round an exhibition “From Organic Forms to Light Art: Selection from the Contemporary Hungarian Art”, in New Delhi on October 17, 2013.


इस मौके पर श्री रवींद्र सिंह ने कहा कि भारत और हंगरी के संस्‍कृति संबंध पिछले कई मौकों पर विभिन्‍न आयामों के तहत दिखे हैं। उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें यह देख प्रसन्‍नता हुई कि प्रदर्शनी को नेशनल गैलरी ऑफ मार्डन आर्ट ने साकार किया है और इसमें हंगरी की सांस्‍कृतिक विरासत के मूल को दिखाया गया है और इसका असर विश्‍व की संस्‍कृति पर पड़ा है। हंगरी के मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि इस प्रदर्शनी के दो हिस्‍से हैं। पहले में आर्गेनिक हिस्‍से को दिखाया गया है और दूसरे में विज्ञान, तकनीक और कला के संबंधों पर आधारित लाइट आर्ट को दिखाया गया है।
यह प्रदर्शनी जनता के लिए 31 अक्‍तूबर 2013 तक खुली है।
फोटो कैप्शन
[१] प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह हंगरी से आये अपने समकक्ष विक्टर ओर्बन के साथ

President gave Guru Mantra , Of Mother Earth ,to The Probationers of Indian Forest Service

President of India, Shri Pranab Mukherjee ,today, gave Guru Mantra to Probationers of Indian Forest Service and asked them to honor mother earth and pay urgent attention to the problems such as [1]environmental degradation, [2]global warming, [3]ecological imbalances etc
A group of 79 probationers of Indian Forest Service of 2012 batch called on the President of India, Shri Pranab Mukherjee today (August 6, 2013) at Rashtrapati Bhavan.
Speaking on the occasion, the President congratulated the probationers on their success in a very difficult examination. He emphasized that urgent attention needs to be paid to problems such as environmental degradation, global warming, ecological imbalances etc. He stated that while we will have to place our view point in international discussions, we cannot ignore the need to put in our own efforts to save ourselves.
He stated that this is a lesson which we can draw from the Uttarakhand tragedy.
The President reminded the probationers of the words of the Father of the Nation, Mahatma Mohan Das Karam Chand Gandhi, who said that mother earth provides enough to satisfy every man’s need, but not every man’s greed. He said that the scientific temperament, knowledge and expertise which the probationers would gain during their years of service would enrich the nation as a whole and we shall be able to build up the desired world we would like to see.
These probationers are presently undergoing their training in various aspects of sustainable management and administration of forest, wildlife and environment at the Indira Gandhi National Forest Academy, Dehradun.
They are in Delhi from August 5 to 7, 2013 for a course in ‘Parliamentary Processes and Procedures’ organized by the Bureau of Parliamentary Studies and Training at Bureau of Parliamentary Studies and Training, Parliament House Complex. Out of 79 probationers, 2 are foreign trainees from Bhutan and 22 are lady officers. These probationers come from diverse educational backgrounds including Forestry, Engineering, Agriculture, Life Sciences and among them four are PhDs.
Also present on the occasion were Dr. V. Rajagopalan, Secretary, Ministry of Environment and Forest, Shri K. Jude Sekar, Director General of Forests and Special Secretary, Ministry of Environment and Forests and Shri R.K. Goel, Director, Indira Gandhi National Forest Academy, Dehradun.
photo caption
The President, Shri Pranab Mukherjee interacting with the Probationers of Indian Forest Service (IFS) 2012 batch from Indira Gandhi National Forest Academy Dehradun, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on August 06, 2013.

वाटर एंड पावर कंसलटेंसी सर्वि‍सेज (वैपकौस) ने २० करोड़ का लाभ दिया

जल संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजि‍नक क्षेत्र के संगठन वाटर एंड पावर कंसलटेंसी सर्वि‍सेज (वैपकौस) ने आज नई दि‍ल्‍ली में जल संसाधन मंत्री श्री हरीश रावत को 2012-13 के लि‍ए 12 करोड़ रुपये का लाभांश तथा 8 करोड़ रुपये का बोनस शेयर प्रमाणपत्र भेंट कि‍या।
इस चेक हस्तांतरण सभा में जल संसाधन सचि‍व श्री आलोक रावत और वैपकौस के अध्‍यक्ष सह-प्रबंध नि‍देशक श्री आर. के. गुप्‍ता भी उपस्थित थे
इस अवसर पर श्री रावत ने वैपकौस की उपलब्‍धि‍यों के लि‍ए प्रबंधन की सराहना की।
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CMD, Water and Power Consultancy Services (WAPCOS), Shri R.K. Gupta presenting a dividend cheque for the year 2012-13 to the Union Minister for Water Resources, Shri Harish Rawat, in New Delhi on August 01, 2013.
The Secretary, Ministry of Water Resources, Shri Alok Rawat is also seen.

राष्ट्रीय कार्यशाला में फिल्‍म निर्माण के क्षेत्र की बाधाओं और सुविधाओं के साथ- अनुभवों की भी समीक्षा की गई

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की राष्ट्रीय कार्यशाला में फिल्‍म निर्माण के क्षेत्र की बाधाओं और सुविधाओं के साथ- अनुभवों की भी समीक्षा की गईसूचना और प्रसारण सचिव श्री बिमल जुल्‍का ने कहा कि भारत और विदेशी फिल्‍म निर्माताओं के लिए भारत में फिल्‍मों की शूटिंग की स्‍वीकृति प्राप्‍त करने हेतु एक संकलित ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ (एसओपी) बनाया जाएगा इस प्रक्रिया में प्रत्‍येक महत्‍वपूर्ण हितधारक को शामिल करने के लिए संस्‍थागत और मानक मानदंडों का पालन किया जाएगा। एसओपी में चिह्नित मानदंडों में स्‍पष्‍ट रूप से फिल्‍म शूटिंग के लिए आवश्‍यक स्‍वीकृति, समय सीमा, अनुमति के संदर्भ में महत्‍वपूर्ण हितधारकों के उत्‍तरदायित्‍व की पहचान की जाएगी। श्री जुल्‍का आज ‘भारत में फिल्‍म शूटिंग के लिए एकल खिड़की स्‍वीकृति’ पर राष्‍ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को सम्‍बोधित कर रहे थे। इस मीटिंग में फिल्‍म निर्माण के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं और इसके लिए दी जाने वाली सुविधाओं के साथ-साथ अनुभवों की भी समीक्षा की गई|
मंत्रालय की पहल के संदर्भ में सचिव ने कहा कि एकल खिड़की स्‍वीकृति प्रणाली को संचालित करने के लिए मंत्रालय एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल बनाने की प्रक्रिया में है। इस वेबसाइट में शूटिंग के लिए विभिन्‍न आवश्‍यकताओं जैसे सीमा शुल्‍क स्‍वीकृति, वीजा, सांस्‍कृतिक संवेदनशीलता आदि विषयों पर आंकड़े भी उपलब्‍ध होंगे। वेबसाइट में आवेदकों के लिए राज्‍यवार सुविधाएं जैसे परिवहन, आतिथ्‍य, चिकित्‍सा और स्‍थानीय जानकारी भी उपलब्‍ध होंगी।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के संचालित किया जा सकेगा।
संयुक्‍त सचिव (फिल्‍म) श्री राघवेन्‍द्र सिंह ने भारतीय फिल्‍म उद्योग के विकास का उल्‍लेख करते हुए भारत में फिल्‍म निर्माण की सुविधाओं पर एक प्रस्‍तुति भी दी। उन्‍होंने बताया कि घरेलू थियेटर राजस्‍व में 24 % की वृद्धि हुई है और इसने 124 बिलियन रुपये अर्थात 76 %तक का योगदान दिया है।
दिनभर चलने वाली कार्यशाला के दौरान केन्‍द्र, राज्‍य सरकार के प्रतिनिधियों, वरिष्‍ठ अधिकारियों, फिल्‍म निर्माताओं, फिक्‍की जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों और इस क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विभागों एवं संगठनों के विभिन्‍न हितधारकों के बीच महत्‍वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।
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The Secretary, Ministry of Information and Broadcasting, Shri Bimal Julka addressing at the inauguration of the National Workshop on theme “Single Window Clearance Mechanism” for shooting films in India, in New Delhi on July 31, 2013.

केंद्र सरकार के अंतिम वर्ष में कृषि की सुध ली जाने लगी है:कृषि-रसायन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में निवेश का आह्वाहन

केंद्र में यूं पी ऐ सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में , बिगड़ती जा रही ,कृषि की सुध ली जाने लगी है| राष्ट्रीय सम्मलेन में सरकार ने उद्योग जगत से कृषि-रसायन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में निवेश करने का आह्वान किया है|
सरकार ने एग्रोकेमिकल उद्योग से कृषि-रसायन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास तथा नवाचार के लिए निवेश करने का आह्वान किया है। दो दिन तक चलने वाले तीसरे राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को आज यहां संबोधित करते हुए रसायन और उर्वरक मंत्रालय के रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग में सचिव श्री इंद्रजीत पाल ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी बने रहने के लिए उद्योग को उत्‍पादों में नावचार लाने की ज़रूरत है जिसके लिए आधुनिक अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं तथा वित्‍तीय संसाधनों की ज़रूरत होगी।
श्री इंद्रजीत पाल ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का वरन करते हुए कहा कि भारतीय रसायन क्षेत्र अनुसंधान और विकास पर विकसित देशों के रसायन उद्योग के करीब 5-10 % के मुकाबले अपने कुल सकल कारोबार का 1-2 %खर्च करता है। उन्‍होंने कहा कि कृषि रसायनों की गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने देशभर में 71 कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाएं स्‍थापित की है जिसमें 68 राज्‍य प्रयोगशालाएं, 2 क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं और 1 केंद्रीय प्रयोगशाला शामिल है। विनिर्माण इकाइयों को जीएमपी (अच्‍छी विनिर्माण पद्धतियां) अपनानी चाहिए और किसानों को उत्‍तम उत्‍पाद उपलब्‍ध कराने के लिए सभी आवश्‍यक उपाय करने चाहिए।
उन्‍होंने भावी यौजनाओं का खुला करते हुए कहा कि इंस्‍टीट्यूट ऑफ एग्रोकेमिकल फॉर्मयूलेशन टेक्‍नॉलोजी (आईपीएफटी) एग्रोकेमिकल उद्योग के लिए आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल फॉर्मयूलेशन्‍ज़ विकसित कर रहा है। पिछले 5-6 वर्ष के दौरान आईपीएफटी ने अनेक फॉर्मयूलेशन्‍ज़ विकसित किए हैं तथा इसे उद्योगों को उपलब्‍ध कराया है।
गौरतलब है कि लगभग 1.2 बिलियन जनसंख्‍या के साथ भारत को सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सनिश्चित करने हेतु सुदृढ़ और आधुनिक कृषि क्षेत्र की ज़रूरत है। कृषि उत्‍पादकता को बढ़ाने तथा कटाई से पहले और बाद में फसलों को होने वाले नुकसान के लिए कीटनाशक या कृषि-रसायन बहुत ज़रूरी है। भारतीय कृषि क्षेत्र और अर्थव्‍यवस्‍था के टिकाऊ विकास के लिए इनका उचित इस्‍तेमाल महत्‍वपूर्ण है।
यह सम्‍मेलन भारतीय वाणिज्‍य और उद्योग महासंघ (फिक्‍की) तथा भारत सरकार के रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग, उर्वरक विभाग तथा कृषि और सहयोग विभाग ने संयुक्‍त रूप से आयोजित किया है।
फोटो कैप्शन
The Secretary, Department of Chemicals Petrochemicals, Shri Indrajit Pal addressing at the inauguration of the 3rd National Conference on Agrochemicals “Agrochemicals Conclave – 2013”, in New Delhi on July 30, 2013.