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“पटेल” के सफल हैदराबाद ऑपरेशन से नाराज “नेहरू” ने “के एम् मुंशी” पर खीझ उतारी:सीधे ल क अडवाणी ब्लॉग से

केंद्र सरकार ने ने बेशक उन्नाव के डोंड़िआखेड़ा में खोदाई बंद करने की घोषणा कर दी है लेकिन लाल कृष्ण अडवाणी की इतिहास की खोदाई जारी है अपने नए ब्लॉग में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के अलगाव वादी निजाम हैदराबाद के प्रेम को उजागर किया है |अपने ब्लॉग के टेल पीस [TAILPIECE]में के एम् मुंशी की किताब पिल्ग्रिमेज टू फ्रीडम [ Pilgrimage to Freedom] का उल्लेख किया है |
भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी ने अपने इस ब्लॉग में सरदार वल्ल्भ भाई पटेल और मुंशी के बीच के संवादों के हवाले से जवाहर लाल नेहरू की तुष्टिकरण की नीति का उपहास उड़ाया है |
अडवाणी ने लिखा है कि पाकिस्तान में शामिल होने को आतुर हैदराबाद को भारत में विलय के लिए चलाये गए अभियान की सफलता के पश्चात गृह मंत्री सरदार पटेल ने के एम् मुंशी को तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू से शिष्टाचार वश [ Courtesy ]मुलाकात करने के लिए भेजा |के एम् मुंशी पार्लियामेंट हाउस में पी एम् कार्यालय पहुंचे |नेहरू अंटे रूम [ante-room] में आये और बेहद ठंडेपन [भाव रहित]से पहले बोले हेल्लो मुंशी “I have come to call on you, now that I am back in Delhi,” इसके साथ ही उन्होंने हाथ मिलाया और लौट गए |इसके पश्चात मुंशी ने सरेडर पटेल को इस भाव रहित ठन्डे व्यवहार के विषय में बताया तो सरेडर ने हँसते जवाब दिया इत्तेहादी शक्तियों को परास्त करने से कुछ लोग तुमसे नाराज हैं “Some of them are angry that you helped in liquidating the Ittehad Power” इसके लिए मुझ पर गुस्सा करने में असमर्थ लोग तुम पर खीझ उतार रहे हैं |
हैदराबाद में भारतीय सेना के सफल ऑपरेशन के बाद के एम् मुंशी ने एजेंट जनरल Agent General.के कार्यालय से त्याग दे दिया

दुःख के बादल पिघलाने वाली वोह सुबह आयेगी और उसे भाजपा ही लाएगी :एल के अडवाणी

भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग के टेल पीस[ TAILPIECE ] में संकेत दिया है कि यदि देश में परिवर्तन लाना है तो भाजपा से अच्छा कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता |
ब्लॉगर अडवाणी ने आर्गेनाइसर[दीपाली] में छपी खबर को याद करते हुए बताया कि १९५८ में दिल्ली कारपोरेशन के चुनाव में मिली हार के गम को भुलाने के लिए उन्होंने अटल बिहारी वाजपई के साथ दोस्तोएव्स्की की क्राइम एंड पनिशमेंट [ Dostoevsky’s Crime and Punishment. ]स्टोरी पर आधारित राज कपूर स्टारर फ़िल्म “वोह सुबह कभी तो आयेगी” देखी|फ़िल्म देखने के बाद साहिर लुधियानवी के मुकेश द्वारा गए गए आशावादी गीत गाते हुए बाहर आये | गीत के बोल थे
“वोह सुबह कभी तो आयेगी,
जब दुःख के बादल पिघलेंगे
जब सुख का सागर छलकेगा
जब अम्बर झूमके नाचेगा
जब धरती नगमे गायेगी
वोह सुबह कभी तो आयेगी”
और ३० सालों के बाद १९९८ में वोह सुबह आई अटल बिहारी वाजपई प्रधान मंत्री बने |तब मैंने [अडवाणी]कहा था कि वोह सुबह आ गई है और उसे हम[बीजेपी]ही लाये हैं

अडवाणी ने अपने पुराने शिष्य मोदी को स्पोर्ट करने के लिए ब्लॉग के माध्यम से कांग्रेस को इतिहास पढ़ाना शुरू किया

भारतीय जनता पार्टी [भाजपा]के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने पुराने शिष्य नरेंदर मोदी को स्पोर्ट करने के लिए कांग्रेस को इतिहास के पाठ पढ़ाने शुरू कर दिए हैं इसके लिए ब्लॉग पर इतिहास की लगातार परतें उधेड़ी जा रही हैं|
इसी कड़ी में अडवाणी ने अपने १० नवम्बर के ब्लॉग में एक बार फिर तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार वल्ल्भ भाई पटेल में राष्ट्रीयता को लेकर आई खाई को उजागर किया है |इससे पूर्व नवम्बर के पहले सप्ताह में एक नौकर शाह 1947 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी स्वर्गीय श्री एमकेके नायर द्वारा मलयालम भाषा में लिखी गई पुस्तक पर आधारित अडवाणी के ब्लॉग ने एक विवाद खड़ा किया हुआ है।
इस विवाद पर टिपण्णी करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने आडवणी के ब्लॉग और उसमे दी गई एम् के मेनन की जानकारी पर प्रश्न चिन्ह लगाये थे और बताया था कि मेनन की भर्ती ही आजादी के बाद हुए थी |प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने भी मोदी के इतिहास और भूगोल के ज्ञान के माध्यम से भाजपा कि जबरदस्त आलोचना की है | इससे विचलित हुए बगैर अडवाणी ने अपने ब्लॉग में एक नया रहस्योद्घाटन करते हुए बताया है कि 1947 में कबाइलियों और पाकिस्तान द्वारा जम्मू एवं कश्मीर पर हमले के बाद वहां सेना भेजने के मुद्दे पर भी नेहरु को हैदराबाद जैसी ही आपत्ति थी|‘इसके समर्थन में उन्होंने नेट‘पर उपलब्ध प्रेम शंकर झा द्वारा भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ से लिया गया साझात्कार का उदहारण दिया है |इस ब्लॉग में एक विशेष पैरा को हाई लाइट किय गया है जो प्रस्तुत है
“सदैव की भांति नेहरु संयुक्त राष्ट्र, रुस, अफ्रीका, सर्वशक्तिमान परमात्मा सहित सभी के बारे में बात करने लगे जब तक कि सरदार पटेल ने अपना धैर्य नहीं खो दिया। उन्होंने कहा ‘जवाहरलाल क्या तुम कश्मीर चाहते हो या इसे गंवा देना चाहते हो।‘ उन्होंने (नेहरु) कहा ‘निस्संदेह, मुझे कश्मीर चाहिए। तब उन्होंने (पटेल) कहा ‘कृपया अपने आदेश दीजिए।‘ और इससे पहले कि वह कुछ कह पाते सरदार पटेल मेरी तरफ मुड़े और कहा ‘तुम्हें अपने लिए आदेश मिल गए हैं।”‘
अडवाणी ने इसी साक्ष्य के आधार पर नेहरू पर ब्रिटिश तुष्टिकरण निति कि तरफ वभी इशरा किया है ” ब्रिटेन साफ तौर पर नहीं चाहता था कि पूरा जम्मू एवं कश्मीर भारत के साथ जाए। लंदन में यह व्यापक धारणा थी कि यदि भारत के नियंत्रण में पाकिस्तान से लगे क्षेत्र रहे तो पाकिस्तान जिंदा नहीं रह पाएगा।
भारत और पाकिस्तान तथा व्हाईटहाल के ब्रिटिश उच्चायोगों के बीच आदान-प्रदान किए गए अत्यन्त गोपनीय ‘केबल्स‘ सच्ची कहानी कहते हैं। कमाण्डर-इन-चीफ नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग से निर्देश प्राप्त कर रहे थे। नेहरु ने पाकिस्तान में कबाइलियों के अड्डों पर हमला करने का निर्णय लिया परन्तु माऊंटबेंटन इसके विरोध में थे।”

अनिवार्य मतदान को अनिवार्य बनाने के लिए नरेंदर मोदी के विचार स्वागत योग्य हैं ;सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भाजपा के वयोवृद्ध नेता और पत्रकार लाल कृषण आडवाणी ने नरेंदर मोदी के सुरों के साथ सुर मिलते हुए अनिवार्य मतदान को अनिवार्य बनाए जाने पर बल दिया है | एल के आडवाणी ने इस दिशा में पहल के लिए नरेंदर मोदी की तारीफ भी की है।
श्री आडवाणी ने अपने नए ब्लाग में लोगों को नकारात्मक मतदान का अधिकार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मतदान के प्रावधान को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।


ब्लॉगर आडवाणी ने कहा कि वर्तमान में मतदाता संविधान प्रदत्त अपना मत देने के बहुमूल्य अधिकार का बिना किसी वैध कारण के उपयोग नहीं करता है वोह अनचाहे ही सभी उम्मीदवारों के खिलाफ नकारात्मक वोट दे देता है
।आडवाणी ने नरेन्द्र मोदी के गुजरात में किये गए सुधारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि गुजरात विधानसभा ने दो बार अनिवार्य मतदान के पक्ष में वोट दिया, लेकिन राज्यपाल और नई दिल्ली दोनों ने ही विधेयक को मंजूरी नही दी | उन्होंने बताया कि दुनिया के 31 देशों में अनिवार्य मतदान का प्रावधान है और मात्र एक दर्जन देशों ने ही प्रतिरोधक प्रावधाव के साथ इसे लागू किया है। आर एस एस के बाद जनसंघ और अब भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लाल कृष्ण आडवानी ने अपनी यादों को समेटते हुए बताया है कि १९५७ में जब दीनदयाल उपाध्याय ने उन्हें अटल बिहारी को सहयोग करने के लिए राजस्थान से दिल्ली बुलाया था उस समय उन्होंने चुनावी सुधारों का अध्ययन करने और उन पर पर कार्य करने का सुझाव दिया था तभी से लगातार इस दिशा में कार्य किया जा रहा है ,

आर्डिनेंस को वापिस लेने के दावं से फायदा पहुंचेगा या नही परन्तु शेष बची अवधि में सरकार का चेहरा बदरंग हो गया है:सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भाजपा के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार लालकृष्ण आडवाणी ने ‘दि इण्डियन एक्सप्रेस‘ के सम्पादकीय के माध्यम से सरकारी फैसलों में बाधा डालने के लिए राहुल गाँधी की आलोचना करते हुए इसे सरकार का बदरंग चेहरा बताया है | अपने नए ब्लॉग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में कहा है कि बेशक डॉ मन मोहन सिंह ने पी एम् पद छोड़ने की संभावनाओं से इंकार किया है केलिन उनकी शेष बचे कार्यकाल में इस्तीफे का ज्यादा तुक नहीं है।
राहुल गांधी ने विधेयकों पर अपनी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं की है।
शासन सम्बन्धी मामलों पर उनके विचार ज्ञात नहीं हैं परन्तु
सरकारी फैसलों में बाधा डालने की उनकी शक्ति साबित हुई है।
अब उनकी चुप्पी और मुखर तथा ज्यादा दुविधापूर्ण प्रतीत होगी।
आने वाले चुनावों में यह दांव कांगेस की राजनीतिक तौर पर फायदा पहुंचाएगा या नहीं परन्तु शेष बची अवधि में सरकार का चेहरा बदरंग हो गया है।

दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश की वापिसी के लिए राष्ट्रपति श्रेय के वास्तविक हकदार हैं ,राहुल गाँधी नही: सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

[नई दिल्ली] दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश की वापिसी के लिए राष्ट्रपति श्रेय के वास्तविक हकदार हैं ,राहुल गाँधी नही: सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पत्रकार लालकृष्ण आडवाणी ने दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश की वापिसी के लिए , अपने नवीन ब्लॉग में,राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को क्रेडिट दिया | ब्लॉगर अडवाणी ने अध्यादेश पर केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार के यूटर्न लेने का कारण राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को बताया है। उन्होंने इसके पीछे राहुल के विवादास्पद बयान को दरकिनार करते हुए लिखा है कि इस विषय में राहुल गाँधी को श्रेय देने की कोई जरूरत नहीं है। आडवाणी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को एक बार फिर से सरकार की साख को बचाने का श्रेय दिया है।
अडवाणी के अनुसार राहुल के बयान के बाद मुश्किल में फंसे प्रधानमंत्री ने देश वापसी के बाद केबिनेट में इस पर चर्चा की बात कही थी। राहुल ने अपने साडे तीन मिनट के बयान में इसको बकवास करार देते हुए अध्यादेश को फाड़कर फेंक देने की बात तो जरूर कही, लेकिन यह नहीं बताया कि यह क्यों बकवास है और उन्हें यह क्यों नामंजूर है।
24 सितंबर को दागी नेताओं की कुर्सी को बचाने वाला अध्यादेश सरकार ने पास किया था तभी लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने इसका विरोध करने की जानकारी ट्वीट आदि के जरिए दी थी जिसके पश्चात वह अपने पार्टी के सदस्यों के साथ राष्ट्रपति से मिले भी थे। राष्ट्रपति से हुई 45 मिनट की बातचीत में वह खुद इस बात को लेकर आशांवित थे कि राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे और एक और रबर स्टाम्प राष्ट्रपति नहीं बनेंगे
उन्होंने लिखा है कि राष्ट्रपति के चेहरे से यह जाहिर हो रहा था कि वह उनकी बात से पूरी तरह से सहमत हैं।

Swatantryaveer Savarkar was not arrested on the charge of Gandhi;s Assassination But detained under the British Black Preventive Detention Act

N D A’s P M In Waiting and senior Journalist L K Advani said that Swatantryaveer Savarkar was not arrested on the charge of Gandhi;s Assassination But Savarkar was detained under the British Black Preventive Detention Act. In The TAILPIECE of His new blog L K Advani has disclosed this fact. Blogger Advani Said “Before reading this book [The Men Who Killed Gandhi] I did not know that when Savarkar was arrested by the police shortly after Gandhiji’s assassination on January 30, 1948, it was an arrest made under the Preventive Detention Act, “one of the most malignant pieces of legislation with which the British had armed themselves when they ruled India.”
The Bombay police first raided Savarkar’s “residence near Shivaji Park, seized all his private papers, consisting of 143 files and as many as 10,000 letters.
Author Of The Book Malgonkar comments : “There was no evidence at all. What was known (from those papers) was the affiliation of the conspirators to the Hindu Mahasabha and their personal veneration for Savarkar.
The author concludes:
He was sixty-four years old, and had been ailing for a year or more. He was detained on 6 February 1948, and remained in prison for the whole of the year which the investigation and the trial took. He was adjudged ‘not guilty’ on 10 February 1949. The man who had undergone twenty-six years of imprisonment or detention under the British for his part in India’s struggle for freedom was thus slung back into jail for another year the moment that freedom came.”

एल के अडवाणी ने भारतीय राज्य को समझने के लिए ‘इज इण्डिया ए फ्लेलिंग स्टेट नामक कल्पित कथा को पढ़ने की सलाह दी है

टेलपीस (पश्च्यलेख)
एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने भारतीय राज्य को समझने के लिए ‘इज इण्डिया ए फ्लेलिंग स्टेट नामक कल्पित कथा को पढ़ने की सलाह दी है| अपने नवीनतम ब्लाग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में अडवाणी ने व्यंगात्मक शैली में लिखा है कि भारत सम्बन्धी 46 पृष्ठीय हार्वर्ड ‘पेपर‘ का शीर्षक है: ‘इज इण्डिया ए फ्लेलिंग स्टेट?”बाद में यह उपन्यास एक सफल फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनोर‘ के रुप में सामने आया
पेपर की शुरुआत एक भारतीय उपन्यास के प्रश्नोत्तर के सारांश से होती है जिसमें एक अशिक्षित मजदूर वर्ग का वेटर एक खेल में एक बिलियन रुपए जीत जाता है, बाद में यह उपन्यास एक सफल फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनोर‘ के रुप में सामने आया।
अपने पेपर में ‘स्लमडॉग मिलियनोर‘ के संदर्भ के बाद, प्रिटचेट्ट व्यंग्यपूवर्क टिप्पणी करते हैं:
”जैसे-जैसे उपन्यास के प्रत्येक उदाहरण जिसमें हीरो के जीवन का वास्ता सरकार के लोगों से पड़ता है-उसके साथ बिकाऊपन और आकस्मिक क्रूरता भरा व्यवहार होता है। यह दो कारणों से विशेष उल्लेखनीय है। पहला, सरकार का बुरा व्यवहार इस पुस्तक का कथानक न ही है और नहीं इस पर टिप्पणी है, उल्टे यह चित्रण एक वास्तविक व्यक्ति के जीवन के सत्याभास को बताने के लिए हैं- ताकि पुस्तक यथार्थवादी लगे और ‘सच्चे‘ भारत से जुड़ी दिखे। दूसरे, यह उपन्यास किसी विरक्त सुधारवादी ने नहीं अपितु भारतीय विदेश सेवा के एक सक्रिय सदस्य द्वारा लिखा गया है।
भारतीय राज्य को समझने के लिए आज कल्पित कथा को पढ़ना जरुरी है क्योंकि कथेतर साहित्य, सरकारी रिपोटर् और आयोगों तथा दस्तावेज जो सरकारी एजेंसियों द्वारा तैयार किए जाते हैं (सरकार के साथ मिलकर काम कर रही विदेशी एजेंसियों सहित) वो वास्तव में कल्पित कथा ही हैं।”

अडवाणी ने थल सेना अध्यक्ष का अभिनन्दन किया और एल ओ सी पर गलत बयानी के लिए मंत्रियों की आलोचना भी की : सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा]के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने, सेना के नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर दिए प्रेस बयान की पुष्टि और रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से इसे शामिल करवाने के लिए, थल सेना अध्यक्ष बी के सिंह को बधाई दी है लेकिन इसके साथ ही रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी द्वारा संसद में बयानों की गड़ बड़ी के लिए क्षमा याचना की आशा भी व्यक्त की है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
गत् सप्ताह 6 अगस्त को विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संसद में हमारे चार नेताओं -राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और मुझे सूचित किया कि प्रधानमंत्री हमसे उस विषय पर विचार-विमर्श करना चाहते हैं जिसका उन्होंने अपनी बंगलादेश यात्रा पर जाने से पूर्व संक्षिप्त रूप से संदर्भ दिया था। यानी दोनों देशों के बीच सीमा समझौता। इस मुद्दे के संदर्भ में, बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा सहित पश्चिम बंगाल और असम से अन्य अनेक नेताओं के एक बड़े भाजपा समूह के सामने सम्बन्धित तथ्यों को रखा था।
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक के निर्धारित समय सायं साढ़े पांच बजे से कुछ मिनट पूर्व मैं रेसकोर्स रोड पहुंच गया, लगभग उसी समय ए.के. एंटोनी भी पहुंचे। मैंने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं को बंगलादेश से सटे एनक्लेव्स के मुद्दे पर विचार-विमर्श हेतु बुलाया है। मैंने पूछा कि क्या वह भी इसी मुद्दे पर होने वाली बैठक में आए हैं। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें ‘बुलाया‘ गया है परन्तु उन्हें विषय के मामले में पता नहीं है।
यह उस दिन की बात है जिस दिन पाक सैनिकों और पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर हमारे पांच जवानों की हत्या की थी। यह उस दिन सुबह सेना के जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया था। हालांकि उस दिन दोपहर बाद सदन में वक्तव्य देते हुए रक्षा मंत्री ने उस घटना के बारे में सेना द्वारा दिए गए ब्यौरे को इस तरह से बदला कि इन हत्याओं का आरोप सिर्फ आतंकवादियों पर लगा। इस वक्तव्य ने न केवल संसद को क्रोधित किया अपितु शहीद जवानों के परिवारों को भी इस हद तक नाराज किया कि एक जवान की विधवा ने सरकार द्वारा प्रस्तावित 10 लाख रूपये के मुआवजे को भी लेने से मना कर दिया। एक समाचारपत्र की रिपोर्ट के मुताबिक विजय राय की पत्नी पुष्पा राय ने अपनी मनोव्यथा व्यक्त करते हुए कहा, ”क्या 10 लाख रूपये का मुआवजा मेरे पति को वापस ला सकता है? हमें मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई चाहिए।”
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक में न केवल सलमान खुर्शीद अपितु ए.के. एंटोनी भी मौजूद थे। बंगलादेश एनक्लेव्स और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी हमले -दोनों मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। हमने दोनों मुद्दों पर दृढ़ता से अपना पक्ष रखा।
बंगलादेश सम्बन्धी मुद्दे पर हमने प्रधानमंत्री को बताया कि इस प्रस्ताव पर हमारी राज्य इकाइयों का मुखर विरोध है, इसलिए हम इस पर राजी नहीं हैं।
पाकिस्तान द्वारा हमारे जवानों के कत्लेआम पर भी हमारी इसी प्रकार की दृढ़ प्रतिक्रिया थी। प्रधानमंत्री के साथ इसी बैठक में उस दिन के रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में मैंने एक कठोर शब्द ‘गड़बड़ करना‘ उपयोग किया। मेरे मन में सदैव ए.के. एंटोनी के लिए गर्मजोशी और सम्मान रहा है। इसलिए उस दिन के उनके वक्तव्य पर मैं सचमुच काफी हैरान था। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सलमान खुर्शीद को रक्षामंत्री से सेना के बयान को बदलने को राजी किया।
रेसकोर्स रोड की इस बैठक में यह सहमति बनी कि सेनाध्यक्ष से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेने के बाद अगले दिन रक्षा मंत्री एक संशोधित बयान देंगे। सेनाध्यक्ष जम्मू गए ताकि वे घटना की जानकारी स्वयं ले सकें। हमने कहा कि हम संशोधित वक्तव्य की प्रतीक्षा करेंगे।
मैं सेनाध्यक्ष को बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने सेना के प्रेस बयान की न केवल पुष्टि की अपितु रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से यह शामिल करने में सफलता पाई कि ”इस हमने में पाकिस्तानी सेना से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जवान शामिल थे।” संसद में हम सबको इस पर प्रसन्नता महसूस हुई कि एंटोनी अपने संशोधित वक्तव्य में न केवल नियंत्रण रेखा तक सीमित रहे अपितु उन्होंने आगे बढ़कर यह दोहराया कि पाकिस्तान से तब तक सामान्य सम्बन्ध नहीं हो सकते जब तक कि वह इन तीन निम्न बातों को पूरा नहीं करता:
(1) आतंकवादी बुनियादी ढांचे को समाप्त किया जाए।
( 2) ऐसे प्रयास करने चाहिए जिनसे नवम्बर, 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के
जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो।
( 3) इस सप्ताह मारे गए हमारे जवानों के लिए पाकिस्तान में मौजूद जिम्मेदार और कुछ
समय पूर्व हमारे जवानों के धड़ काट कर ले जाने वालों को दण्डित नहीं किया जाता।
सामान्यतया, सेनाध्यक्ष को उपरोक्त दी गई बधाई के साथ मैं रक्षामंत्री को भी बधाई देता हूं। लेकिन तभी यदि वह 6 अगस्त के अपने वक्तव्य को औपचारिक रूप से वापस लेने का साहस दिखाते तथा सेना से माफी मांगते कि उन्होंने उनके ब्यौरे जो एकदम सही था, में भद्दे ढंग से बदलाव कर प्रस्तुत किया। कोई भी मंत्री सदन में ऐसी बात नहीं कह सकता जो झूठ हो। यदि गलत सूचना के चलते वह कुछ असत्य कहता है तो उसे कम से कम खेद तो प्रकट करना चाहिए।
मंत्री और सेना द्वारा अपनाए गये इस तरह के सख्त रवैये के बाद देश आशा करता है कि प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से शांति वार्ता करने की अपनी उत्सुकता त्याग देगें। इन दिनों समूचा विश्व देख रहा है कि कैसे स्नोडेन को शरण देने के बाद ओबामा ने पुतिन से निर्धारित अपनी मुलाकात ही रद्द कर दी!

लाल कृषण अडवाणी ने भी रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी का उपहास उड़ाया

भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने भी अपने ब्लॉग में एक अन्य लेख के माध्यम से रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी का उपहास उड़ाया है |
ब्लॉग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में अडवाणी ने बताया है कि इण्डियन एक्सप्रेस के मुख्य सम्पादक शेखर गुप्ता के सम्पादकीय पृष्ठ पर ‘स्केर्ड विट्लस‘ (SCARED WITLESS) शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ है जिसमे ए.के. एंटोनी की तुलना शेक्सपीयर के नाटक ”जूलियस सीजर” के मार्क एंटोनी से की गई है इस लेख के साथ समाचारपत्र के कार्टूनिस्ट इ.पी. उन्नी द्वारा चोगे में रक्षामंत्री ए.के. एंटोनी के रेखाचित्र भी रेखांकित किया गया है जिसमें ऐ के अंटोनी को ‘मार्क-II एंटोनी स्पीच!‘ के रूप में वर्णित किया है |अडवाणी ने ”इतनी निर्दयता और शानदार ढंग” की इस प्रस्तुति की प्रशंसा की है।
लेख कहता है: ”आपके पास अन्य मंत्रीगण हैं और नानाविध मुद्दों पर उनके वक्तव्य हो सकते हैं। लेकिन नियंत्रण रेखा पर हुई घटना के बारे में रक्षामंत्री ऐसा करें? वह अब कहते हैं कि पहले वह ‘उपलब्ध‘ सूचनाओं के आधार पर बोले और अब वे ज्यादा अच्छा जानते हैं कि आतंकवादी सेना के वेश में न केवल पाकिस्तानी रेगुलर्स (नियमित सैनिक) बन गए अपितु उनकी विशेष फोर्स से भी हैं।